आयुर्वेद बीमार होने के बाद उपचार कराने की अपेक्षा इस बात पर अधिक जोर देता है कि हमारी जीवन शैली इस प्रकार की होनी चाहिए कि हमें बीमारियां जकड़ ही न पाएं। आयुर्वेद के अनुसार, आरोग्य बहुमूल्य आहार एवं औषधियों के सेवन से नहीं बल्कि आहार विहार के संयम से आता है।
यहां कुछ ऐसे टिप्स दिए गए हैं (Ayurvedic Health Tips) जिन्हें अपनाकर हम काफी हद तक रोगी होने की स्थिति से बचने का प्रयास कर सकते हैं।
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⚫ रात में सोने से पूर्व व प्रातः काल उठकर शौच करने के बाद ब्रश, दातुन अवश्य करें। कुछ भी खाने के बाद कुल्ला (नमक के पानी से) अवश्य करें।
⚫ भोजन हमेशा तभी करें जब बहुत तेज भूख लगी हो। भूख से थोड़ा कम ही खाएं। भोजन सात्विक शुद्ध पदार्थों से निर्मित ही करें।
⚫ अधिक तीखा, खट्टा, मसालेदार, चिकनाई युक्त भोजन स्वास्थ्य का शत्रु है।
⚫ भोजन में सलाद ,कच्ची व हरी सब्जियां, दूध-दही फल सभी चीजों को थोड़ा – थोड़ा शामिल करें।
⚫आहार को अधिक पीसने, तलने, भुनने से उसके स्वाभाविक गुण नष्ट हो जाते हैं। दाल, शाक, फल छिलके सहित खाएं।
⚫ अंकुरित दालें, चना, गेहूं में थोड़ा सा नींबू, टमाटर, हरी मिर्च, बहुत हल्का नमक मिलाकर खाएं तो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है। मांसपेशियां पुष्ट होती हैं और इम्युनिटी (Immunity) भी बढ़ती है।
⚫ सब्जियों को काटने से पहले ही अच्छी प्रकार से धो लें। फिर काटने के बाद भी दो बार धोएं। दालों को ठीक से बिनकर बनाएं।
⚫सप्ताह में एक दिन उपवास रखें। उपवास वाले दिन नींबू , छाछ, दूध, फल, सलाद आदि ही लें। गरिष्ठ भोजन या प्रतिदिन लिया जाने वाला भोजन एक बार भी न करें। पानी नींबू पियें।
⚫ प्रातः काल चार पांच-बजे के मध्य उठ जाएं। रात में दस बजे तक सो जाएं।
⚫ सुबह सुबह रात को तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल अथवा ताजा जल गुनगुना करके, दो गिलास अवश्य पिया करें। उसके बाद ही शौच जाने की आदत डालें। प्रातः काल चाय न पिएं। प्रातः काल इस प्रकार जल सेवन अनेक रोगों से बचाता है और शरीर से विषैले तत्वों को धो डालता है।
⚫ भोजन करते समय व भोजन से आधा घंटा पूर्व तथा एक घंटे बाद तक जल न पियें। पीना भी पड़े तो एक-दो घूंट ही पियें।
⚫ भोजन के साथ जल के स्थान पर दही, मट्ठा, छाछ, जूस कुछ भी ले सकते हैं।
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⚫ शरीर के कल – पुर्जों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है।
⚫ प्रातः काल शौच आदि से निवृत होकर तेज कदमों से टहलना (Brisk Walk) सबसे बेहतर व्यायाम माना गया है।
⚫ प्रातः काल टहलते समय नाक से गहरी सांस लिया करें। हृदय रोगी चिकित्सक से सलाह करके ही टहलने जाएं।
⚫ टहलने के बाद घर के आस-पास शाक, क्यारी, फुलवारी आदि लगाकर उनमें थोड़ा कार्य करें।
⚫ युवा प्रातः काल धीरे-धीरे दो-तीन कि.मी. की दौड़ लगाया करें। सूर्य नमस्कार एक अच्छा व्यायाम हैं।
⚫ प्रातः काल भारी नाश्ता वे ही लें जिन्हें दिन-भर कठोर शारीरिक श्रम करना है।
⚫ प्रातः काल नाश्ते में अंकुरित अनाज (Sprouts), दूध, छाछ लिया जा सकता है। साथ में कोई फल भी ले सकते हैं।
⚫ चार बादाम, चार मुनक्के, दो काली मिर्च रात में भिगोकर, प्रातः काल सिलबट्टे पर पीसकर नियमित गुनगुने दूध से लें। दिमाग और नजर में दम-खम के लिए सर्वश्रेष्ठ नुस्खा है।
⚫ चॉकलेट, टॉफी, आइसक्रीम, च्यूइंगम, बबलगम जैसी वस्तुएं दांतों को गला देती है। इनका सेवन न स्वयं करें, न बच्चों को करने दें।
⚫ सप्ताह में कम से कम एक दिन, स्नान से एक घंटा पूर्व, सारे शरीर की शुद्ध पीली सरसों के तेल से या जैतून (Olive Oil) के शुद्ध तेल से हल्की-हल्की मालिश करें। तत्पश्चात रगड़-रगड़ कर स्नान करें।
⚫ कभी भी भोजन करने के फौरन बाद स्नान न करें। भोजन के तीन घंटे बाद ही स्नान करें।
⚫ जहां तक हो सके, स्नान ठंडे पानी से ही करें। गठिया जोड़ों (Arthritis) के दर्द के रोगी गुनगुने पानी से स्नान कर सकते हैं।
⚫ पानी में स्नान से थोड़ी देर पूर्व नीम की कुछ पत्तियां व थोड़ी सी देसी गुलाब की पंखुड़ियां तथा आधा नींबू का छिलका डाल दें। तत्पश्चात 15-20 मिनट बाद स्नान करें। समस्त त्वचा रोगों से रक्षा हो जाती है व शरीर का रोम-रोम ताजगी से भर जाता है।
⚫ सिर की मालिश सप्ताह में तीन बार करें। सिर में साबुन, शैम्पू के स्थान पर मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करें।
⚫ भोजन करने के दस मिनट बाद, दोनों समय, मूत्र त्याग अवश्य करें। ऐसा करने से मूत्र व अन्य संबंधित विकारों से बचा जा सकता है।
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⚫ किसी भी प्रकार के नशे से, चाहे व शरीर का हो मन का हो या विचारों का हो, बचें। तम्बाकू, धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, शराब, हेरोइन, स्मैक, इंजेक्शन, गोलियां आदि का प्रयोग कदापि न करें। यह जहर तन-मन व परिवार सभी को जला डालता है।
⚫ जीवनसाथी से ही शारीरिक संपर्क बनाएं, शादी से पूर्व ब्रम्हचर्य का पालन करें, अन्यथा एड्स या अन्य रोग हो सकते हैं और फिर जीवन भर पछताना पड़ता है।
⚫ नींद कम से कम 6 घंटे की आवश्यक है।
⚫ प्रातः काल प्राणायाम व रात में शवासन लाभदायक रहते हैं।
⚫ चालीस वर्ष की उम्र के बाद वर्ष में एक बार अपने पारिवारिक या किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह करके अपनी सभी रक्त, मलमूत्र, हृदय, आंखे, फेफड़ों, गुर्दो आदि की जांच अवश्य करा लेनी चाहिए।
⚫ अश्लील साहित्य, अश्लील सिनेमा, अश्लील गानों को देखने-सुनने से से बचें। मानसिक कुंठाएं शरीर को व शारीरिक रोग मन-मस्तिष्क को प्रभावित करते ही हैं।
⚫ जिस घर में रहें उसके कमरे हवादार व रोशनीयुक्त होने चाहिए।
⚫ शरीर से उत्पन्न होने वाले वेग मल, मूत्र, छींक, प्यास, भूख, नींद, आंसू आदि को नहीं रोकना चाहिए।
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