साइटिका (Sciatica) बीमारी में कमर से जुड़ी हुई नसों में सूजन आ जाती है। इस वजह से रोगी के पूरे पैर में असहनीय दर्द होता है। आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी रोग कहा गया है। पैर में होने वाले दर्द के कारण व्यक्ति के चलने का तरीका गिद्ध की तरह हो जाता है इसलिए इसे गृध्रसी रोग भी कहा गया है। दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेनकिलर दवाओं का अधिक सेवन ना करें। इन दवाओं के किडनियों पर साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसकी बजाय दर्द से राहत दिलाने वाला हर्बल पेनकिलर तेल घर में ही बनाकर उपयोग में लाएं।

उपाय 1
सायटिका (Sciatica) के उपचार के लिए हरसिंगार (पारिजात) (Night Jasmine) के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह शाम खाली पेट (भोजन से पूर्व) लें।
काढ़ा बनाने की विधि –
हरसिंगार के लगभग 100 – 150 पत्ते तोड़कर लाएं! उन्हें थोड़ा कूट लें या मिक्सर में पीस लें! इस बात का ध्यान रखें कि पत्तों को अधिक बारीक ना करें! फिर उनको एक लीटर पानी में अच्छी तरह से उबालें! उबलने पर पानी का रंग बदल जायेगा, पत्ते भी हाथ से मसलने पर मुलायम लगेंगे! जब पानी एक चौथाई यानि 250 ml के लगभग रह जाये तब उसे उतारकर ठंडा कर लें! और छानकर किसी भी बोतल में भर लें!

सेवन विधि – दो चम्मच सुबह और दो चम्मच शाम को भोजन करने से पहले इस काढ़े का सेवन करें! इसका आराम तीन दिन बाद ही नजर आने लग जायेगा लेकिन इसकी लगभग चार बोतल तक काढ़ा पियें! स्थाई आराम मिलेगा! तीन दिन में तो पेट की कब्ज (constipation) को साफ करता है। उसके बाद यह काढ़ा दवाई के रूप में असर करता है।
सायटिका के लिए यह एक बेहद असरदार, आसान और अनुभूत प्रयोग है।
उपाय 2
सायटिका के लिए अद्भुत, अकल्पनीय एवम असाधारण योग
कालमेघ पाउडर – 20 ग्राम
शंखपुष्पी पाउडर – 20 ग्राम
श्यामा तुलसी पाउडर – 10 ग्राम
अपामार्ग जड़ पाउडर – 10 ग्राम
मेथी पाउडर – 10 ग्राम

ये 70 ग्राम की मात्रा लगभग 100 रुपये की लागत में तैयार हो जाती है l एक वयस्क रोगी को 5 ग्राम दवा में, 7 काली मिर्च के पाउडर को, शहद या देशी घी के साथ सुबह – शाम खाली पेट खिला दें और इसके बाद 45 मिनट तक कुछ भी नही खाने देंl
लाभ – इस उपाय से कितना भी पुराना, जटिल से जटिल साइटिका का दर्द हो, चाहे डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह दे चुके हों, पहले ही दिन से आराम आ जाएगाl
Disclaimer : इस वेबसाइट पर उपलब्ध सभी लेख और जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए हैं। इनका उपयोग किसी भी स्वास्थ्य समस्या या बीमारी के उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ सलाह के नहीं किया जाना चाहिये। चिकित्सकीय परीक्षण और उपचार हेतु सदैव एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करना चाहिये।