आयुर्वेद के अनुसार शरीर सप्त धातुओं से धारण होता है, ये सप्त धातु हैं रस-रक्त-माँस-मेद-अस्थि-मज्जा-शुक्र। इनको धातु इसलिये बोलते हैं क्योंकि ये शरीर का धारण करती हैं। पहले वाली धातु अपने से बाद वाली धातु को पोषण देती है और धातुओं को जितना भी पोषण मिलेगा शरीर उतना ही मजबूत होगा। यह आयुर्वेद का एक बहुत गूढ़ सिद्धांत है।
इस पोस्ट में हम इस बारे में ज्यादा गहराई में ना जाते हुये आपको एक ऐसे चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो इन सात धातुओं को पोषण देता है और इसको घर पर बनाना भी बहुत आसान है। आइये जानते हैं इसकी सामग्री और निर्माण विधि :

जरूरी सामग्री :-
अश्वगंधा 100 ग्राम
तुलसी बीज 50 ग्राम
सौंठ 100 ग्राम
हल्दी चूर्ण 50 ग्राम
त्रिफला 200 ग्राम
यह रोग मुक्ति चूर्ण बहुत सारे रोगों से आपकी रक्षा करता है और इसको आप घर पर ही आसानी से बना सकते हैं।
बनाने की विधि :-
इस चूर्ण को बनाना बहुत ही आसान है । इन सभी चीजों को ऊपर लिखी गयी मात्रा में लेकर धूप में सुखाकर मिक्सी में पीस कर और सूती कपड़े में छानकर चूर्ण तैयार कर लें। एयर टाईट डिब्बे में बंद रखने पर यह चूर्ण 6-8 महीने तक खराब नही होता है। ये सभी चीजें आपको अपने आस – पास किसी जड़ी-बूटी वाले के पास बहुत आसानी से मिल जायेंगी।
सेवन विधि :-
10 साल से कम उम्र के बच्चों को चौथाई से एक ग्राम, 16 साल तक के किशोर को 2 ग्राम और उससे बड़े व्यक्ति को 3-5 ग्राम तक सेवन करना है, रात को सोते समय पानी, शहद, मलाई अथवा दूध के साथ।
इस चूर्ण के सेवन से मिलने वाले लाभ :–
1 :- शरीर में समस्त धातुओं को उचित पोषण देता है जिससे शरीर मजबूत और गठीला बनता है।
2 :- पाचन (Digestion) सही रखता है जिससे खाया पिया शरीर को पूरी तरह से लगता है।
3 :- बालों में चमक और मजबूती लाता है।
4 :- त्वचा कांतिमय बनती है।
5 :- शरीर में कैल्शियम (Calcium) की कमी नही होती जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
6 :- वात दोष के बढ़ने से हो जाने वाले रोगों से बचाव रहता है।
7 :- शरीर में एलर्जी (Allergy) और अन्य इंन्फेक्शन जल्दी से नही होते हैं।
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