शरीर में हर तरह की गाँठ से पाएं मुक्ति, जानें आयुर्वेदिक उपाय

अक्सर हमारे शरीर के किसी भी भाग में गांठे बन जाती हैं, जिन्हें सामान्य भाषा में गठान या रसौली कहा जाता है। किसी भी गांठ की शुरुआत एक बेहद ही छोटे से दाने से होती है। लेकिन जैसे ही ये बड़ी होती जाती हैं, इन गाठों की वजह से ही गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं। ये गांठे टी.बी. (Tuberculosis) से लेकर कैंसर (Cancer) तक की बीमारी की शुरुआत का चिन्ह होती हैं।

    अगर किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग में कोई गाँठ हो गई है, जिसके कारण उस गाँठ से आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव (Bleeding) हो रहा हो, तो हो सकता है कि यह कैंसर की बीमारी के शुरुआती लक्षण हों। हालांकि इससे यह भी सुनिश्चित नहीं हो जाता कि ये कैंसर के रोग को उत्पन्न करने वाली गांठ ही हैं।

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कुछ गाँठ साधारण बीमारी उत्पन्न होने के कारण भी हो जाती हैं। किन्तु हमें किसी भी प्रकार की गांठ को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा उसका तुरंत ही उपचार करवाना चाहिए। यह समझना बहुत ही आवश्यक हैं कि इन छोटी सी गांठों को यदि आप लगातार नजरअंदाज करेंगें, तो इन गांठों की ही वजह से आपको बाद में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

आज हम आपको शरीर के किसी भी भाग में होने वाली गांठ को ठीक करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में बतायेंगें : (Ayurvedic Treatment for Lumps in Body)

कचनार की छाल (Kachnar Bark) और गोरखमुंडी (Gorakhmundi)

आप ये दो चीज पंसारी की दुकान से या आयुर्वेद दवा की दुकान से ले लें। वैसे यह दोनों चीजें जड़ी-बूटी बेचने वालों के पास से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ली जाये तो अधिक लाभदायक है। कचनार (वानस्पतिक नाम – Bauhinia variegata) का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।

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कचनार

कचनार की सबसे बड़ी पहचान है – सिरे पर से काटा हुआ पत्ता। इसकी शाखा की छाल ही लें। तने की न लें। उस शाखा (टहनी) की छाल लें जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो। बहुत पतली या बहुत मोटी टहनी की छाल न लें।

गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले के यहाँ से खरीद लें।

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गोरखमुण्डी

कैसे प्रयोग करें?

कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सूखी छाल हो तो 15 ग्राम) को मोटा – मोटा कूट लें। इसको 1 गिलास पानी में उबालें। जब 2 मिनट तक उबल जाए तब इसमें 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई) डालें। इसे 1 मिनट तक उबलने दें। इसके बाद इसको छान लें। हल्का गरम रह जाए तब पी लें।

ध्यान दें कि यह कड़वा जरूर है परंतु अद्भुत चमत्कारी है। गांठ कैसी भी हो, प्रोस्टेट (Prostate) बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो, गले के बाहर की गांठ हो, गर्भाशय की गांठ (Uterus Gland) हो, स्त्री पुरुष के स्तनों मे गांठ हो या टॉन्सिल (Tonsils) हो, गले में थायराइड ग्लैण्ड (Thyroid Gland) बढ़ गई हो (Goiter) या लिपोमा (Lipoma) (फैट की गांठ) हो, लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती।

अधिक लाभ के लिए ऊपर बताये गए तरीके से दिन में 2 बार सेवन करें। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। शुरू में 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा, उसके बाद असर दिखना शुरू होगा। इससे निराश होकर औषधि का सेवन बीच में न छोड़ें।

गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है, आयुर्वेद में कचनार गुग्गुल (Kachnar Guggul) इसी उद्देश्य के लिये दी जाती है।

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