घर-घर होने वाला रोग कब्ज एक आम रोग अवश्य है परंतु इसका असर पूरे शरीर में पड़ता है। इसका जरा सी तकलीफ मनुष्य को बेचैन कर देती है। लोग आम तौर पर कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए दवाइयों का प्रयोग करते हैं, लेकिन वो यह नहीं जानते हैं कि वो अपने खान-पान में बदलाव कर के कब्ज को दूर कर सकते हैं। ऐसे में कब्ज क्या है? (Constipation meaning in Hindi) हमारा आहार कैसा होना चाहिए? जिससे बिना दवाओं के ही हमें कब्ज से राहत मिल सके? जानते हैं इस लेख में :
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आहार
फाइबर युक्त आहार (20 से 35 ग्राम प्रतिदिन) मुलायम, अधिक मात्रा में मल बनाने में सहायक होता है। उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में बीन्स, पूर्ण अनाज खाद्यान्न की भूसी, ताजे फल, सब्जियों जैसे कि अंकुरित आहार, गोभी, गाजर, ब्रुसेल्स, एस्पारगस सम्मिलित हैं। उन लोगों में जिनमें कब्ज की संभावना अधिक होती है, उनके द्वारा उन खाद्य पदार्थों जिनमें फाइबर कम या नही के बराबर होता है, जैसे- आइसक्रीम, पनीर, मांस, गरिष्ठ भोजन आदि से बचना चाहिए।
जीवनशैली में परिवर्तन
अन्य परिवर्तन जो कि कब्ज से बचने एवं उपचार में सहायक है, वे हैं पर्याप्त मात्रा में पानी तथा अन्य द्रव्य जैसे कि फल एवं सब्जियों का जूस तथा साफ सूप पीना चाहिए, रोजाना व्यायाम करना तथा जिन्हें मल त्याग के लिए पर्याप्त मात्रा में समय निकालना चाहिए। इसके अलावा शौच की इच्छा को दबाना नही चाहिए।
फाइबर युक्त भोजन के अच्छे स्रोत
फाइबर की अधिकता वाले भोजन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं – पच जाने वाले गेंहू की भूसी, पूर्ण अनाज Whole Grain जैसे गेंहू, चावल, बाजरा, राई, ज्वार, जड़ एवं तने जैसे मूली, शलजम, चुकंदर तथा मीठा आलू। फलों में आम तथा अमरूद तथा हरी पत्तेदार सब्जियों में गोभी आदि। वे भोजन जो पूरी तरह फाइबर रहित हैं वे हैं – मांस, मछली, अंडे, दूध, चीज, वसा तथा शर्करा (कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों को इनका सेवन कम करना चाहिए)। भूसी जो कि अनाज का सबसे बाहरी हिस्सा होता है, वह आहार फाइबर का सबसे अच्छा स्रोत है तथा इसमें कई तरह के फाइबर होते हैं जैसे सेल्यूलोज जो कि कब्ज दूर करने में बहुत लाभदायक है।
गेहूं की भूसी कोलेस्ट्रॉल को भी घटाती है, जो शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। फाइबर युक्त होने के अलावा, भूसी में आयरन, विटामिन तथा पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। इसके अलावा सोयाबीन भी ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित करता है। सब्जियों एवं फलों में जिस प्रकार का फाइबर होता है वह अच्छे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सब्जियां जिसमे अधिकतम फाइबर रेटिंग है वे हैं भुट्टे, गाजर तथा मटर। अधिकतम फाइबर रेटिंग वाले फलों में रसभरी, लीची, अमरूद व अनन्नास शामिल हैं।
ध्यान देने योग्य बातें
1. मल त्याग की इच्छा को दबाएं नही। जब भी नेचर कॉल हैं, आपको इसे रोकना नही चाहिए।
2. सुबह-सुबह दो गिलास पानी पीकर गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लैक्स को स्थापित करें। भरा हुआ पेट आंतो में गतिविधि पैदा करता है। इसलिए सुबह उठकर पानी पीने से गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लैक्स मल साफ करने में सहायक होता है।
3. अपनी सामान्य प्यास से बढ़कर 6-8 गिलास पानी दिनभर में पिएं। यह मल सख्त होने से बचाता है।
4. फाइबर (रेशों) की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों (पूर्ण अनाज Whole Grain तथा दालें, अंकुरित खाद्यान्न, पत्तेदार सब्जियां, पालक, मूली, खीरा, सलाद, टमाटर, अंजीर, पपीता, मुनक्का, संतरा, केला, अमरूद) को भोजन में शामिल करें। अधिक फाइबर वाले खाद्य पदार्थ मल को सही मात्रा में तथा मुलायम बनाते हैं।
5. कभी-कभी मल को मुलायम बनाने के लिए एनिमा (वस्ति) भी ली जा सकती है। यह अत्यधिक कब्ज वाले लोगों के लिए सहायक है, जिनमें गंभीर कब्ज हो जाता है। हालांकि, इसे अपनी आदत नहीं बनाना चाहिए।
6. प्रतिदिन पर्याप्त शारीरिक व्यायाम आंतो की गतिविधि को नियमित करने के लिए आवश्यक है। व्यायाम किसी भी रुप में ठीक होता है। चलने-फिरने से इसकी शुरुआत की जा सकती है।
7. ईसबगोल की भूसी को एक कप गर्म पानी के साथ इसे तीन चम्मच रात में लें। यह पेट साफ करने की एक सुरक्षित दवा है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। आँतों में जमा कचरा और सालों पुराना मल निकालने तथा आँतों की सफाई के लिए इस लेख में दिया गया आयुर्वेदिक तरीका भी अपनाया जा सकता है।
8. जंक फूड अनियमित मल त्याग का एक महत्वपूर्ण कारण है। इसलिए जंक फूड से बचें, कभी-कभी व्रत भी रखें तथा पर्याप्त मात्रा में फल खाएं। ऐसा करने से पेट की सफाई हो जाती है।
9. पेट में हल्की गर्मी मल त्याग की प्रक्रिया को उत्तेजित करती है। हल्के गुनगुने पानी में शहद व नींबू मिलाकर पीएं।
10. भारतीय टायलेट, पेट पर दबाव डालते हैं। भारतीय टायलेट का प्रयोग ही वांछनीय है।
11. भीगे हुए मेथी के 4 से 5 बीज को रात भर पानी में भिगोये रखें तथा सुबह इन्हें अच्छी तरह से चबाकर इसी पानी को पी लें।
12. उदर की मसाज भी बोवल को उत्तेजित करती है।
13. त्रिफला चूर्ण का रात में हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करें।